Breaking News
उत्तराखण्ड नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जल्द जारी होगी
मुख्यमंत्री धामी ने सौंग बांध परियोजना पर विस्थापन की कार्यवाही जल्द करने के दिए निर्देश
कल से शुरू होगा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट, जाने मैच से जुडी बातें
कांतारा: चैप्टर 1 की रिलीज डेट आउट, 2 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म
दूनवासियों के लिए खतरा बनी हवा, चिंताजनक आंकड़े निकलकर आए सामने
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा
क्रेश बैरियरों की खराब स्थिति को लेकर महाराज ने रोष जाहिर किया
दूरस्थ क्षेत्र पैठाणी में होगा उच्च शिक्षा को लेकर महामंथन
सर्दियों में टूटने लगे हैं बाल तो इस चीज से करें मालिश, नहीं होगा नुकसान

कांग्रेस के लिए रामलला नहीं बाबर की मजार रही आस्था का केन्द्र – महाराज

देहरादून। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शामिल न होने का बड़ा कारण यह है कि उसके शीर्ष नेतृत्व के लिए हमेशा से ही काबूल स्थित बाबर की मजार ही आस्था एवं श्रृद्धा का प्रमुख केन्द्र रही है। उक्त बात प्रेस को जारी अपने एक बयान में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मंदिर ट्रस्ट के निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का शामिल न होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का पीढ़ी दर पीढ़ी काबूल स्थित बाबर की मजार से आस्था एवं श्रृद्धा का अटूट रिश्ता रहा है।

कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे क़द्दावर नेता नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वन लाइफ़ इज नॉट एनफ़’ में स्पष्ट लिखा है कि 1959 में जवाहरलाल नेहरू, 1968 में इंदिरा गांधी, 1976 में राजीव गांधी और 2005 में राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के साथ अफगानिस्तान में बाबर की कब्र का दौरा किया और कब्र पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इसलिए सनातन विरोधी कांग्रेस ने आमंत्रण मिलने के बाद भी रामलला के दर्शन करना उचित नहीं समझा।

नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि इंदिरा गांधी बाबर की कब्र पर फूल चढ़ाने काबुल गई थीं और अफगानिस्तान में बाबर की कब्र पर इंदिरा गांधी ने दावा किया था कि वह उनके उत्तराधिकारी हैं और देश उनके नियंत्रण में है। यही कारण है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों द्वारा सनातन धर्म के अपमान पर चुप्पी साध लेती है।

इसलिए आज हमें यह तय करना होगा कि देश की सत्ता को भगवान श्री राम में आस्था रखने वाले चलायेंगे या बाबर की मजार पर श्रृद्धा सुमन अर्पित करने वाले राम द्रोही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top